एक कहानी ऐसी भी!!!
एक कहानी ऐसी भी!!!
( हां बच्चा हु माँ तेरी नज़र में,
पर किसी की नज़र में बाबु बन गया था)
खुद को माँ और उससे बॉट कर मैं खुद को ही भूल गया था, माँ से मोहब्बत उस लम्हे से हो गयी थी जब तन ढकने का भी होश नही था,और उससे तब,जब मेरे मुलायम से गालो पर दाढ़ी की सुरुवात हुई थी,वो मेरे स्कूल में मेरे क्लास की ही थी बचपन से साथ पढाई की थी हमने, हम साथ में घर घर भी खेलते थे,और घर घर खेलते हुए आज उस बचपन के खेल को हकीकत बनाने की कोशिश कर रहे थे !
दरअसल बात मेरे क्लास 8th की है 5 SEP की (TEACHER'S DAY)
हम सारे दोस्त TRUTH और DARE खेल रहे थे इतने में जब मेरे एक दोस्त की बारी आई उसने मुझे एक काफी दिलचस्प सवाल पूछ लिया,
CLASS में कौन है वो जिसे तू पसंद करता है??
मैंने थोड़ा संकोच करते हुए उसका नाम बता ही दिया फिर क्या सारे दोस्तों ने इतना शोर मचाया की ये बात उसतक पहुच गयी,
और शायद वो मुझसे बात करना चाहती थी इस बारे में,
लेकिन न तो मैं शारुख खान था और न ही राजेश खन्ना जो एक ही बार में उसे अपने प्यार का एहसास दिला देता,
उसके बर्थडे पर मैंने उसके लिए एक कविता लिख थी वैसे तो लडकिया थी हज़ार
पर दिल आया तुमपर पहली ही बार
नही कह सका तुझको पर
डूबता गया तुझमे ही हर बार
अब बस तेरे हां का है इंतज़ार
तू बन मेरी प्रियतम मैं बनूँगा तेरा यार
हां शायद ये कविता आपको अच्छी न लगी हो पर जिसके लिए लिखी थी उसे बेहद पसंद आयी थी,
और उसी दिन उसे अपने दिल की वो सारी बात बता दी, जो मैं कई साल से साथ लिए घूम रहा था ।
वैसे ही बाकी कहानियो की तरह उसने मुझे जवाब देने में वक़्त लगाया,भले ही वो वक़्त 1 दिन का था पर मेरे लिए सदियों समान कट रहा था,
अगले दिन जब उसने मुझे हां कहा उस दिन को मैं कभी नही भूल सकता,
उसने हर वक़्त साथ रहने का वादा किया था,शायद मैं सच्चे प्रेमजाल से बंध गया था और ये बंधन मुझे अच्छा लग रहा था ।
हम साथ ट्यूशन भी जाते थे,पता है बात तो खूब करता था उससे मन ही मन पर जुबा पे बहुत थोड़ी ही ला पता था वो क्या है न वक़्त ही नही मिलता था,वो भी शायद कुछ कहना चाहती थी हर वक़्त पर वक़्त ही नही!!!
हम बहोत खुश थे फिर पता नही किसकी नज़र लग गयी हमे, एक ऐसा दिन जब मैं रोज की तरह उसके पास बैठा था और उसने बातो बातो में बेहद आसानी से कह दिया अब मुझसे कभी बाते मत करना !!
बिन कोई कारण बताए,मैं सच कहूं तो मेरे आँखों से वो अनमोल आंसू छलक आया जो माँ निकलते देखती तोह किसी भी कीमत पर उसे रोक देती,लेकिन कोई ऐसा इस आंसू का कारण बन गया था जो कभी मेरा हक़दार था,बस यही सोच मैंने उसे आजतक बेवफा नही कहा क्योंकि जिसे मुझे हँसाने का सुकून देने का हक़ है उसने एक आंसू दे दिया तो क्या गलत ??
आज भी सच्ची सिद्दत से मोहब्बत उससे करता हूँ,
वो मेरे पास नही है मेरे साथ नही है पर पास न होकर साथ न होकर भी मेरे पास है और मेरे साथ है ।।
वैसे मेरा प्यार उसके लिए आज भी है बस थोड़ा नाम बदल गया "एकतरफा प्यार"
:-निशु
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