Posts

Showing posts from August, 2019

बेटियों की आवाज़!!

बेटी हुँ माँ-बाप की, कोई अभिशाप नहीं, यू रोको न मुझे, उड़ जाने दो खुले आसमान में, कांटे भरे हाथों से मेरे फूल से सपनों को न छुओ, खिल जाने दो इन्हें मेरे देश के सम्मान में ।                                        🇮🇳 :-प्रियांशु निशु

गरीब की थाली

वो जूठी रोटी हमारे थाल की, शोभा बनती किसी कंगाल की, है भूख इतनी हम सब की, जब जी किया तब कुछ खाया, कैसी मजबूरी ये उनकी देखो, उनके थाल में कुछ न आया, मजदुरी वो सुबह - शाम करे, पर दिहाड़ी में हमने है सताया, हस-हस कर हम खाने बैठे, वो रो कर भी कुछ न पाया, हम घूमें ट्रैन से, हमारे बोझ को कुली बन उसने उठाया, और उसके 10 रुपये ज्यादा की मांग पर, हमने उसको डॉट भगाया, कैसी मजबूरी ये उनकी देखो, उनके थाल में कुछ न आया । :-निशु