Alone But Together BY NISHU


यह कहानी प्रियांशु(निशु) ने अपने एक अपरिचित मित्र शिवम् से हुई देर रात बातचित के आधार पे लिखी है, जोसमे शिवम् अपनी

LONG DISTANCE RELATIONSHIP

के बारे में बात कर रहा हैं ।।

शिवम और दिपाक्षी कि ये

कहानी में प्यार,दूरी

का बेहरीन मिश्रण है।

आशा करता हु ये कहानी आपको पसंद आएगी
(This stoty is a narration but fiction)

रोज बुने है खर्च करके कई रातो को,

न जाने अब कहा रखे इतने सारे खयालातों को,

कोशिश की है लिखने की चंद जज्बातों को,

लेखक नही बस लिखा है लोगो के अल्फाज़ो को ।।

"Saheli is contraceptive issued by Govt. Of INDIA"   
मैं बायोलॉजी पढ़ रहा था,ये मेरा पसंदीदा subject है,
मैं पढ़ ही रहा था लाइट चली गयी,मुझे शायद बायोलॉजी से कोई अलग नही कर सकता पर लाइट
जाने के बाद गर्मी ने कर दिया,
मैं बाहर बालकनी में जाकर खड़ा हो गया,
मेरे होस्टल की बालकनी काफी लंबी थी,
मैंने तुरंत अरिजीत सिंह के कुछ गाने बजा दिए और
मैं टहल टहल कर गानों के मजे ले रहा था,
अब इतना खूबसूरत मौसम था,
हवा मासूमियत से मेरे गालो को छू रही थी ।
लाइट आने के बाद भी मैं बहार ही खड़ा था,
बहुत अच्छा लग रहा था,
वो सुकून हां शायद सुकून सही शब्द है उस मौसम के
लिए,
फिर अचानक मेरा ध्यान ऊपर टूटते तारे पर पड़ा गया,
और देखते ही मैंने तुरंत एक wish मांग ली,
"मैं हमेशा खुश रहूं",
ठीक तुरंत इसके बाद मैंने बालकनी के दूसरे और एक
लड़के को देखा,
मुझे लगा कोई नया बच्चा है,
मैंने उसे आज से पहले देखा नही था कभी मुझे लगा
घर से दूर आया है अकेले है,
उससे थोड़ी बात कर लेता हूँ,
उसे अच्छा लगेगा,ये सोचते सोचते मुझे मेरा पहला दिन
याद आने लगा,
जब मैंने पुरे दिन किसी से बात नही की थी,
मैं उसके पास गया तो वो वहाँ से जाने लगा,
मैंने उसे कहा सुनो भाई,
मेरी आवाज सुन वो रुक तो गया पर अपना सर नीचे
झुका रखा था,
मैंने देखा वो अपने आँसू को छिपा रहा था ।
मैंने उससे कहा भाई कोई बात नही घर से दूर पढाई
करने ही तो आये हो,
सब NORMAL हो जायेगा घबराओ मत!!!
नाम क्या है तुम्हारा;
उसने कहा "शिवम्"
मैंने कहा "काफी अच्छा नाम है यार"
उसने कहा "थैंक्स भैया"
वो शायद IIT की तैयारी के लिए आया होगा,फिर भी मैंने पूछा IIT/MEDICAL उसने रोती हुई आवाज़ में कहा
MEDICAL,
मुझे अब कुछ अच्छा नही लग रहा था वो कुछ ज्यादा
ही रो रहा था,
और मैं हँस कर उससे बाते कर रहा था कि वो भी मुस्कुराये,
पर वो तो चुप ही नही हो रहा था,
मैंने उसे पहले ये विस्वास दिलाया कि वो मुझे अपनी
बात बता सकता है,
मैं हर संभव मदद करूँगा,
मुझे लगा शायद subject stream उसे फाॅर्स कर के
दिलाया गया हो,अगर ऐसा होता तो मैं उसके पेरेंट्स
से बात कर उन्हें समझाता,;
पर वो तो कुछ बोल ही नही रहा था,
मैंने कहा एक बार बात कर लो मम्मी से और सो जाओ,
अगली सुबह से सब अच्छा होगा,
हॉस्टल के खाने की,कोचिंग के टीचर्स की पढ़ने की,सारी बात समझ लोगे,
ये कह कर मैं वहां से हटने लगा,
जब मैं वह से वापस अपनी कमरे में अपनी बायोलॉजी
की दुनिया में वापस जा रहा था,
तभी पीछे से उसने आवाज़ लगाई,
"भैया"
मैं पीछे गया और कहा "बोलो",
उसने कहा "एक बात कहु आप मुझे बताओगे मुझे क्या
करना चाहिए,"
मैंने कहा "तुम्हे क्या करना चाहिए शायद न बता पाऊ,
पर ये जरूर बता दूंगा मैं उस परिस्थिति में होता तो क्या
करता,ये बता दूंगा"
उसने कहा "ठीक है"
मैंने कहा "बोलो"
उसने मुझसे कहा "भैया हम सब के जीवन में कोई न
कोई तो होता है जिसे हम बेहद चाहते है,
उसके बिना शायद खुद को अकेला महसूस करते है"
मैंने कहा "हाँ"
उसने कहा "भैया अगर आपको उससे दूर कर दिया
जाये तो क्या करोगे आप"
मैंने कहा देखो पढ़ने के लिए घर से दूर आना पड़ता है
आखिर तुम पढाई उसके लिए ही कर रहे न,
तुम नही चाहते तुम्हारी माँ खुश हो,
उसने बोला "भैया आपने मेरे सवाल को नही समझा
रुकिए मैं आपको पूरी कहानी बताता हूं"
मैंने बिना मन के कहा "बोलो"
उसने(शिवम्) कहा 'भैया एक लड़की थी *दिपाक्षी*
जब मैं क्लास 5th में थे तब से हम रिलेशनशिप
में हैं,
मुझे रुका नही गया मैंने पूछा "सच क्लास 5th से"
उसने कहा "हां भैया हम एक दूसरे के बिना
रह ही नही सकते,
जब हम पहली बार मिले थे तब से हम एक दूसरे
को चाहते है,
मैंने फिर उससे रोकते हुए मुस्कुरा कर कह दिया "तो
यह love at first sight वाली बात है,
उसने कहा "भैया हमने आज तक एक दूसरे को देखा
नही"
मैं सच में डर रहा था ये क्या कह रहा,
कभी कुछ कहता
कभी कुछ कही इसका मानसिक संतुलकन तो ख़राब
नही,??
मैं सोच ही रहा था उसने बोला,
भैया "वी मीट अट फेसबुक"
मैंने आशचर्य से पूछा,
क्या फेसबुक पर भी रिलेशनशिप होती है,मैं सोचता
था यह सब सिर्फ बनावटी बाते है,
उसने कहा "नही भैया यह सच है"
हम LONG DISTANCE RELATIONSHIP में थे,
उसके सुबह से लेकर साम तक कि एक एक
दिनचर्या मालूम है मुझे,
वो कब स्कूल जाती कब आती,
कब खाना खाती,
कब सोने जाती,
कब उसके पापा घर आते,
कब उसका भाई उसके पास होता है,
सब जानता हूं,
और वो भी मेरे एक एक वक्त के बारे में जानती है,
भैया हमने जो किया वो सच मे प्यार ही था,
मैं अचानक बीच में बोल पड़ा,
"भाई प्यार कभी किया नही जाता,
हा तुम्हे प्यार हुआ होगा"
उसने थोड़ी कम सहमति के साथ कहा:-
"हा भैया आपने सही कहा"
शायद मेरे बीच मे बोलना उसे अच्छा नही लगा था,
फिर उसने कहा "एक बात बताऊ भैया जब मैंने
फेसबुक पर नई id बनाइए थी न,
तो मुझे कभी नही लगा था कोई अच्छा दोस्त,
अच्छा साथी भी यह मिल सकता,
बस सारे लोग कहते थे ये समय बर्बाद करता है,
पढ़ाई कर ये सब बेकार चीज़ है,
मैंने फिर से कह दिया ,
"तो आज भी जब तुम उससे बाते करते होंगे तो समय
लगता ही होगा और पढ़ाई कमजोर तो हो गयी होगी",
उसने मुझपर थोड़ी कड़क निगाह रखते हुए कहा
"नही भैया में पहले से पढ़ाई के अच्छा हो चुका हूं
वो मेरी मदद करती इसलिये,
पहले मुझे मैथ्स नही पसंद था लेकिन उसे बताने के
लिए मैंने एक एक टॉपिक अच्छे से पढ़ा,
भैया आप चीज़ों को कैसे इस्तेमाल करते ये उसपे
निर्भर करता है, हम इस्तेमाल गलत करते है और
आरोप ये लगते की वो चीज़ ही गलत है,"
शायद वो सही कह रहा था,
मैंने उसे कहा "भाई तुमने बाते तो बिल्कुल सही कही,
एक सवाल पुछु मेरे मन मे काफी देर से है,"
उसने कह दिया हा "भैया पूछिये "
मैंने कहा "तुमलोग एक दूसरे को जानते नही थे फिर
Facebook पर बाते कैसे शुरू हो गयी",
उसने थोड़ा रुकते हुए कहा, "12 मई"
मेरे मुंह से निकल पड़ा "मदर्स डे"
उसने कहा "हा भैया मदर्स डे के दिन मैंने एक कविता
पोस्ट की थी,
*माँ तेरी और मेरी मुलाकात इतनी छोटी हो जाती है,*
*मिलता तोह हूँ तुझसे पर आँखों की प्यास
न बुझ पाती है,*
*कैसे बताऊ तू मेरे दिल को कितना भाति है,*
*मुस्कुराता हूँ तेरे सामने पर अकेले में
तेरी याद रुलाती है।।*
ये कविता जब मैंने पोस्ट की तो उसके बाद उस कविता
पर दिपाक्षी का लाइक, और कमेंट आया "अतिसुन्दर"
मैंने उसे रिप्लाई किया "सुक्रिया"
बस इतनी बात हुई पहली बार,
फिर जब 5 जून को पर्यावरण दिवस पर मैंने एक नई
कविता लिखी तो उसे दिखाने के लिए मैंने उसकी id
पर Hiii मेसेज किया,
और ये कविता भेज दी
(*अब वो पल दूर नही जब घर तोह होगा
पर पीपल का छाव नही,*
*मोटर-गाड़ी शहर होगा पर बैल-गाडी और गांव नही,*
*उड़ेंगे हम हवाईजहाज में अब और
मटमैले होंगे पाव नही,*
*तरक्की कर रहा है इंसान अब धरती माँ के
आँचल(OZONE LAYER) का कोई भाव नही।।*)
उसके अगले दिन उसने मेरे मेसेज का रिप्लाई भेजा,
"Hlo, यार तुम इतना अच्छा लिखते हो,
कास मैं ऐसा लिख पाती,"
आखिर अपनी तारीफ़ किसे पसंद नहीं,
मैं इस लाइन को पढ़ अकेले मुस्कुरा रहा था,
और फिर क्या उसके बाद हमारी बात 7-8 मिनट तक
लगातार हुई,
मैंने शिवम को रोकते हुए कहा,
"भाई तुम वाकई अच्छी कविता लिखते हो",
उसने कहा "रुको भैया मैं आपको एक और कविता दिखता
हु मैंने लिखी थी हमारी फेसबुक वाली मुलाकात पे"
मैं सच कविता पढ़ने को उत्सुक हो गया था,
उसने अपने फ़ोन में फेसबुक चैट्स में दिपाक्षी की
Id निकाल कर उस कविता को पढ़ने को कहा,
पहली बार बात हुई थी,
मेरे लिए गर्मी के मौसम में बरसात हुई थी,
अजीब है कहानी हमारी facebook पर
मुलाकात हुई थी ।।
न उसे देखा था न उसे जानता था,
पर उसकी बातों में दम था मेरा मन ये
जरूर मानता था ।।
कुछ भी हो बाते उससे रोज होने लगी थी,
शायद वो भी मुझमे इस कदर खोने लगी थी,
रोज जल्दी सोने वाली अब 12 बजे सोने लगी थी,
मुझे याद कर वो emojies से रोने लगी थी ।।
जब भी कॉल किया उसने तुम बोलो से सुरुवात हुई ,
अजीब है कहानी हमारी facebook
पर मुलाकात हुई।।
उसने हर बार मेरा ख्याल रखा था,
मेले बाबु ने मुझसे खूब प्याल रखा था,
मेरे खाने न खाने का भी हिसाब रखा था,
जो तबियत ठीक न हो मेरी kisses
text पे बेहिसाब रखा था ।।
आज भी वो मेरी है मैं उसका हु,
वो साथ नही तोह पता नही मैं किसका हु,
हम जैसे पहले दिन थे वैसे ही आज है,
मतलब हमारे प्यार में आज भी वही जज्बात है,
ये एक अजीब सी प्यारी  facebook
की मुलाक़ात है ।।
1 मिनट रुको कह के कभी कभी
आधा घंटा लगा देती थी,
जो गुस्सा हुआ मैं तोह अपनी
अदाओं से पिघला देती थी,
2  मिनट में ही मुझे अपनी
बातों से दुनिया  घुमा देती थी,
हां पागल नही हु मैं पर मुझे
पगलु बुला लेती थी ।।
उसके नसे में कुछ अलग ही बात थी,
अजीब है कहानी हमारी
फेसबुक की मुलाकात थी ।।
मेरे देर तक online नही आने से
परेशान हो जाया करती थी,
और जब आता था मैं तोह
खुद offline होकर मुझे सताया करती थी,
पुरे दिन की कहानी वो मुझे बताया करती थी,
जो परेसान होता देखती मुझे तोह
समझाया करती थी,
गलती मेरी हो तोह प्यारे डाट भी
लगाया करती थी ।।
उसकी हर एक कहानी में  मजेदार बात थी,
अजीब है कहानी हमारी facebook
की मुलाकात थी ।।
ये कविता पढ़ कर सच में मजा आ गया था,
मुझे आज तक प्यार का अनुभव तो नही हुआ,
पर इस कविता को पढ़ एक अच्छे रिलेशनशिप
की बाते पता चल रही थी,
मैंने उससे कहा "तुम बोहोत अच्छा लिखते हो,
शिवम्"
उसने मुस्कुराते हुए कहा "थैंक्स भैया"
(मैंने मन ही मन कहा चलो इस बहाने ही कम
से कम मुस्कुराया तो,)
उसने कहा भैया ये मैंने उसके जन्मदिन पे लिखा था,
उसने भी बोहोत तारीफ की थी,
फिर मेरे मन में एक सवाल था मैंने पूछ लिया,
"अक्सर दूर रहकर जब रिस्तो को निभाया जाता है,
तब रिस्ते इतने मजबूत नही होते ये सच है क्या??"
उसने थोड़ी जोर से कहाँ नही भैया,अगर आप अपने
साथी पे
विस्वास करते हो,सच्ची सिद्दत से उसे चाहते हो,
तो ऐसा कभी नही होता,
भैया,आपने कभी किसी प्रेमी जोड़े को बात करते
हुए रोते देखा है,??
मैंने कहा मरमरी आवाज़ में कहा नही,!!
उसने कहा भैया,लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप वाले हर
रोज जब बाते कर रहे होते न तो उनकी आँखें नम हो
ही जाती है,
शायद ये इस रिस्ते की मासूमियत और सच्चाई का एक
तगड़ा सबूत है!!
हम एक दूसरे के पास न होकर भी इतने पास होते हैं
की हमारे बीच से हवा भी नही गुजर सकती,
long distance relationship में जो बात सबसे
ज्यादा मायने रखती है वो विश्वास।
भले ही आपका पार्टनरआपसे दूर,
सात समंदर पार रहता हो,
लेकिन अगर आप उससे कुछ ना छिपाएं।
हर बात उसे खुलकर बताएं।
तो आपके साथी का विश्वास आप में बना रहेगा,
और, आपके दिल का बोझ हल्का हो जाएगा।
पता है हमारा रिस्ता बस इसी नाजुक डोर से बंधा होता
है "विस्वास" के ड़ोर से,
और ये डोर नाजुक लगती तोह है पर इतनी मजबूत होता है,की इसे तब तक नही तोडा जा सकता जब तक
मुहब्बत में शक नाम का शब्द नही आया हो,
कभी कभी लोग शक कर लेते है उसपर जिसपर बेहद
विस्वास करते है,
भैया, रिश्ता चाहें कैसा भी हो (पास का या दूर का
यानि lलॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप) दो चीजों से
मजबूत हो सकते है और वो हैं आपसी बातचीत और
एक-दूसरे के लिए समर्पण।
अगर इन दो चीजों का तालमेल अच्छा है तो long distance relationships
पास में रहकर निभाए गए रिश्तों से
ज्यादा गहरी,और अच्छी रहती हैं।
भैया उसकी याद आती है, तो खुद को रोक नही पाता
क्या ये चाहत एक अच्छे रिश्ते की निशानी नही ?,
उसके बीमार पड़ने पर मेरी प्रार्थना,
मेरे रिजल्ट वाले दिन उसका मेरे घबराये मन को
संभालना,क्या ये अच्छे साथी की निशानी नही,
मैंने उसके पीठ पर हाथ रख कर कहा "जरूर है"
और में भगवान से विनती करता हू की तुमलोग जरूर
मिलो,
और साथ हरवक्त खुश रहो,
तुम्हारी "शिवदीप"(शिवम और दिपाक्षी) की जोड़ी
सलामत रहे!!
मैं ये मुस्कुरा कर कह रहा था, पर वो(शिवम) अचानक
हँस हँस कर रोने लगा,
मैन उसे कहा "अरे भाई क्या हुआ??"
उसने कहा भैया आपकी दुआ के लिए धन्यवाद पर
अब हम कभी नही मिल सकते, न कभी बाते कर
सकते, वो क्या है न वो मेरी आज भी है,मेरी छोटी सी
दुनिया की रानी है वो,
मैंने बड़े धीमे से पूछा "क्यों भाई"
उसने कहा "भैया वो अब मेरे पास नही वो भगवान
कृष्ण की राधा से खूबसूरत थी इसीलिए भगवान
कृष्ण ने उसे अपने पास बुला लिया, (इतना कहकर
वो रोने लगा)
पता नही क्यों पर मेरे आंख भी थोरे नम हो गए थे,
मैंने लड़खड़ाते हुए उससे पूछा क्या हुआ था उसे?,
उसने कहा भैया उसे कर्करोग(CANCER) था ।
और डाक्टर्स जिन्हें हम भगवान का रूप कहते है ना ये,
भी मेरी दिप को नही बचा पाए,
भैया जब मुझे ये दिपाक्षी के न होने की बात
उसकी सहेली "साक्षी" से पता चली तोह,
मैं उस दिन बोहोत रोया था, मैंने खाना भी नही खाया था,
फिर मुझे मेरे दादा जी की एक कहानी याद आयी जो
उन्होंने मुझे बचपन मे सुनाई थी,
कहानी "दसरथ मांझी की"
एक मामूली हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने
अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट
ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली।22
वर्षों परिश्रम के बाद, दशरथ के बनायी सड़क ने
अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किमी से
15 किलोमीटर कर दिया।
बस इसिलए क्योंकि रास्ता न होने की वजह से उनकी
पत्नी फाल्गुनी देवी को अस्पताल समय पर न ले जाने
की वजह से उनकी मौत हो गयी ।
मांझी की एक बात दादा जी हर वक़्त कहते थे
"जब तक तोड़ेंगे नही तब तक छोड़ेंगे नही"
बस यही बात मेरे दिल और दिमाग में घर कर गयी,
और मैंने उस दिन से कसम खायी है में एक अच्छा
डॉक्टर बनूँगा,और
कभी पैसों के लिए नही हर वक़्त इंसानियत के लिए
काम करूँगा,ताकि दुसरो की दिपाक्षी को बचा सकू ।
और कैंसर जैसी बीमारी को जड़ से उखाड़ फेकू,
(शिवम की बात सुन मैंने उसे हौसला देने के लिए,
कहा मैं हर वक़्त तुम्हारी मदद के लिए तैयार हूं)
उसने कहा भैया
" मैं पूरा जीवन उसके साथ LONG DISTANCE
RELATIONSHIP को संभाल के रखूंगा और मुझे
पूरा विस्वास है वो भी मेरे साथ हर वक़्त खुश रहेगी"
फिर अचानक मुझे एक कॉल आया, पर वो कॉल नही
मेरा अलार्म था,
वक़्त सुबह के 4 बज चुके थे,
मैन उसे शांत/चुप करा कर उसे थोड़ी देर सो जाने को कहा,
वरना वो क्लास में अच्छे से पढ़ाई नही कर पायेगा,
बस इतना कह मैं वहाँ से अपने कमरे की और बढ़ गया
और वो अपने कमरे की ओर चला गया ।।
मैं सच्चे दिल से भगवान से विनती करता हूं शिवम को
एक अच्छा डॉक्टर बना देना शायद कई और दिपाक्षी
की जान बच सके!!!
मैं अपने बेड पे आकर ये सोच रहा था, एक सामान्य
से दिखने वाले बच्चे के अंदर न जाने कितनी बाते होती
हैं,
कितनी ऐसी बाते जो वो अपनी बाहरी दुनिया से छिपा
कर रखता है ।
और पता भी नही चला यही सोचते सोचते में कब सो
गया ।।
(वो साथ न होने के बाद भी साथ थे इसलिए मैंने इस
कहानी का नाम
"Alone but together" रख दिया )
:-【◆●निशु●◆】
Instagram:- @priyanshu.nishu
Twitter:-nishu_priyanshu
E-mail :-priyanshu854318@gmail.com


Comments

  1. आपके बेवसाईट पर दी गई जानकारी बहुत ही महत्व पूर्ण एवं उपयोगी हैं
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