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गरीब की थाली
वो जूठी रोटी हमारे थाल की, शोभा बनती किसी कंगाल की, है भूख इतनी हम सब की, जब जी किया तब कुछ खाया, कैसी मजबूरी ये उनकी देखो, उनके थाल में कुछ न आया, मजदुरी वो सुबह - शाम करे, पर दिहाड़ी में हमने है सताया, हस-हस कर हम खाने बैठे, वो रो कर भी कुछ न पाया, हम घूमें ट्रैन से, हमारे बोझ को कुली बन उसने उठाया, और उसके 10 रुपये ज्यादा की मांग पर, हमने उसको डॉट भगाया, कैसी मजबूरी ये उनकी देखो, उनके थाल में कुछ न आया । :-निशु
एक कहानी ऐसी भी!!!
एक कहानी ऐसी भी!!! ( हां बच्चा हु माँ तेरी नज़र में, पर किसी की नज़र में बाबु बन गया था) खुद को माँ और उससे बॉट कर मैं खुद को ही भूल गया था, माँ से मोहब्बत उस लम्हे से हो गयी थी जब तन ढकने का भी होश नही था,और उससे तब,जब मेरे मुलायम से गालो पर दाढ़ी की सुरुवात हुई थी,वो मेरे स्कूल में मेरे क्लास की ही थी बचपन से साथ पढाई की थी हमने, हम साथ में घर घर भी खेलते थे,और घर घर खेलते हुए आज उस बचपन के खेल को हकीकत बनाने की कोशिश कर रहे थे ! दरअसल बात मेरे क्लास 8th की है 5 SEP की (TEACHER'S DAY) हम सारे दोस्त TRUTH और DARE खेल रहे थे इतने में जब मेरे एक दोस्त की बारी आई उसने मुझे एक काफी दिलचस्प सवाल पूछ लिया, CLASS में कौन है वो जिसे तू पसंद करता है?? मैंने थोड़ा संकोच करते हुए उसका नाम बता ही दिया फिर क्या सारे दोस्तों ने इतना शोर मचाया की ये बात उसतक पहुच गयी, और शायद वो मुझसे बात करना चाहती थी इस बारे में, लेकिन न तो मैं शारुख खान था और न ही राजेश खन्ना जो एक ही बार में उसे अपने प्यार का एहसास दिला देता, उसके बर्थडे पर मैंने उस...
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