वो जूठी रोटी हमारे थाल की, शोभा बनती किसी कंगाल की, है भूख इतनी हम सब की, जब जी किया तब कुछ खाया, कैसी मजबूरी ये उनकी देखो, उनके थाल में कुछ न आया, मजदुरी वो सुबह - शाम करे, पर दिहाड़ी में हमने है सताया, हस-हस कर हम खाने बैठे, वो रो कर भी कुछ न पाया, हम घूमें ट्रैन से, हमारे बोझ को कुली बन उसने उठाया, और उसके 10 रुपये ज्यादा की मांग पर, हमने उसको डॉट भगाया, कैसी मजबूरी ये उनकी देखो, उनके थाल में कुछ न आया । :-निशु
बारिश की खूबसूरती अगर पूछनी है तोह मोर से पूछो, क्योंकि इस दुनिया में पशु-पक्षी के अलावा कोई निःस्वार्थ भाव से सच नही बोलता,पर सच का अनुसरण सब करना चाहते है ।। यहाँ लोग तारीफ़ भी स्वार्थ में और बुराई भी स्वार्थ में करते है ।। यहाँ सब की विचारधारा अलग है जैसे किसान तड़प रहा और भगवान से विनती कर रहा बारिश हो, तो वही कोई सूट-बूट और टाई लगाये साहब बोल रहे बारिश न हो वरना MEETING ख़राब हो जायेगी, सबका अपना स्वार्थ है!! हम सब जानते है बारिश होनी जरूरी है क्योंकि हमारे देश में बहुत किसान ऐसे है जो ख़राब फसल होने के कारण कर्ज के बोझ में दब कर मानव रूपी शरीर को तिरस्कृत कर देते है जिसे पाने के लिए हमारी आत्मा कई योनि तक तपस्या करती है ।। हमे इस को रोकने की एक कोशिस करनी होगी न कुछ तो कम से कम ईस्वर से सच्चे दिल से प्रार्थना करे की उन्हें उनकी मेहनत का फल मिले और इस साल अच्छी बारिश हो !! :-निशु अगर आप मेरी बात से सहमत है तो comment जरूर करे, और अच्चे अच्चे Article पढ़ने के लिए FOLLOW करे!! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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